जहाँ पर हिंसकभाव नहीं रहे वह संयमी कहलाता है। क्रोध-मान-माया-लोभ में भी हिंसक भाव न रहें, वह संयम कहलाता है। संयमी मोक्ष में जाता है।
परम पूज्य दादा भगवानमाया यानी घोर अज्ञानता। अज्ञानता के कारण ये दुःख हैं। इस दुनिया में दुःख है ही नहीं। यदि दुःख होता तो सभी को होना चाहिए।
परम पूज्य दादा भगवानक्रोध-मान-माया-लोभ होने लगें तो होने देना, कुचारित्र के विचार आएँ तो उसमें हर्ज़ नहीं है, घबराना नहीं। लेकिन उन्हें ‘यों’ प्रतिक्रमण करके पलट देना। उससे बहुत ही उच्च धर्मध्यान होगा!
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