अहंकार की उपस्थिति से निरंतर ‘चार्ज’ होता ही रहता है। ‘यह मैंने किया’, कहते ही ‘चार्ज’ हो जाता है! ‘यह अंगूठी मेरी है’, कहते ही ‘चार्ज’ हो जाता है!
परम पूज्य दादा भगवानकड़वाहट और मिठास दोनों अहंकार के फल हैं। अच्छा करने का अहंकार किया तो वह मिठास देता है। बुरा करने का अहंकार किया तो वह कड़वाहट देता है।
परम पूज्य दादा भगवानअहंकार क्या नहीं कर सकता? अहंकार से ही यह सब खड़ा हुआ है और अहंकार विलय हो जाए तो मुक्ति है!
परम पूज्य दादा भगवान‘इगोइज़म’ हो तो उसमें हर्ज नहीं है। लेकिन वह ‘नोर्मल’ होना चाहिए। ‘नोर्मल’ ‘इगोइज़म’ यानी सामनेवाले को दुःख न हो।
परम पूज्य दादा भगवानअहंकार का अर्थ क्या है? खुद की दृष्टि से अंध हो जाना। ‘ज्ञानी’ अहंकार निकाल देते हैं।
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