कड़वाहट और मिठास दोनों अहंकार के फल हैं। अच्छा करने का अहंकार किया तो वह मिठास देता है। बुरा करने का अहंकार किया तो वह कड़वाहट देता है।
परम पूज्य दादा भगवानअहंकार क्या नहीं कर सकता? अहंकार से ही यह सब खड़ा हुआ है और अहंकार विलय हो जाए तो मुक्ति है!
परम पूज्य दादा भगवान‘इगोइज़म’ हो तो उसमें हर्ज नहीं है। लेकिन वह ‘नोर्मल’ होना चाहिए। ‘नोर्मल’ ‘इगोइज़म’ यानी सामनेवाले को दुःख न हो।
परम पूज्य दादा भगवानअहंकार का अर्थ क्या है? खुद की दृष्टि से अंध हो जाना। ‘ज्ञानी’ अहंकार निकाल देते हैं।
परम पूज्य दादा भगवानसिर्फ अहंकार करके घूमता रहता है और अंत में तो चिता में जाता है, ऐसी दयाजनक स्थिति है! और यदि बहुत अच्छा इंसान हो तो, उसे चंदन की लकडि़याँ मिलेंगी। लेकिन लकड़ी ही न?! जो मरे ही नहीं, वही सच्चा शूरवीर है।
परम पूज्य दादा भगवानसब से बड़ी कमज़ोरी कौन सी है? ‘इगोइज़म’। चाहे कितने भी गुणवान हो, किन्तु ‘इगोइज़म’ हो तो ‘यूज़लेस’ (व्यर्थ)। गुणवान तो अगर नम्रतावाला हो तभी काम का है।
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