वचनबल कैसे प्राप्त होता है? एक भी शब्द का उपयोग मज़ाक के लिए नहीं किया हो, एक भी शब्द का उपयोग झूठे स्वार्थ या किसी से कुछ ऐंठने के लिए नहीं हुआ हो, वाणी का दुरुपयोग नहीं किया हो, खुद का मान बढ़ाने के हेतु से वाणी का उपयोग नहीं किया हो, तब वचनबल सिद्ध होता है!
परम पूज्य दादा भगवानहमारे कारण सामनेवाले को परेशानी हो, ऐसा बोलना सब से बड़ा गुनाह है। किसी ने ऐसा उल्टा कहा हो तो उसे दबा देना चाहिए, वही इंसान कहलाता है!
परम पूज्य दादा भगवानमोक्ष में जाना हो तो बिन माँगे सलाह नहीं देनी चाहिए। जब सलाह माँगने आए तभी ही दें। सलाह देने पर प्रधान होना पड़े!
परम पूज्य दादा भगवानजहाँ स्यादवाद वाणी है वहाँ आत्मज्ञान है। जहाँ एकांतिक वाणी है वहाँ आत्मज्ञान नहीं है।
परम पूज्य दादा भगवानस्यादवाद वाणी की भूमिका कब उत्पन्न होती है? तब, जब अहंकार शून्य हो जाता है, पूरा जगत् निर्दोष दिखाई देता है, किसी जीव का किंचित्मात्र भी दोष नहीं दिखाई देता है, किंचित्मात्र भी किसी धर्म का प्रमाण आहत नहीं होता।
परम पूज्य दादा भगवानसंसारिक मीठी वाणी स्लिप करवाती है और स्यादवाद मधुर वाणी ऊध्र्वगामी बनाती है!
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